शुक्रवार, 2 दिसंबर 2011

छुट्टी और छुट्टी के बाद का होमवर्क


//व्‍यंग्‍य-प्रमोद ताम्बट//
             ओय ओय ओय ओय छुट्टी हो गई। टन टन टन की आवाज़ आते ही कई सारे उदंड बच्चे उठकर मेन गेट की ओर दौड़ पड़े, सोई प्रिंसीपल साहब ने किसी जेलर की तरह सबको हड़काकर भगा दिया और लगे चिल्लाने- सिर्फ वी.आई.पी. बच्चों की छुट्टी हुई है! उल्लू के पट्ठों तुम क्यों यहाँ अपना बोरिया-बस्ता लेकर गेट पर आ लटके! चलो भागों यहाँ से। बेचारे आम बच्चे अपना सा मुँह लेकर वापस अपनी-अपनी जगह पर जा बैठे। कोई दरी बुनने लगा और कोई मोमबत्तियाँ बनाने लगा। स्कूल का गेट खुला और वी.आई.पी बच्चे ओय-ओय करते हुए बाहर निकलकर अपनी-अपनी इम्पोर्टेड कारों में फुर्र हो गए।
            घर पहुँचकर बच्चे और माँ-बाप जितने खुश होंगे उतने ही तनाव में भी आ जाएँगे, क्योंकि छुट्टी के बाद दोनों के ही लिए सबसे बड़ी टेन्शन वाली बात होगी होमवर्क। सबको फौरन से पेश्तर अपने-अपने होमवर्क में जुटना होगा। होमवर्क नहीं किया तो स्कूल लौटकर किसको क्या सज़ा मिलेगी कोई नहीं जानता। छः महीने बाद घर पहुँचे हैं, थोड़ा बहुत आराम कर फिर होमवर्क में जुटा जा सकता है, मगर यह आराम सुसरा कहीं महँगा न पड़ जाए, इसलिए सभी को काफी लगन और मेहनत से होमवर्क पूरा करना पड़ेगा भले ही नकल टीपना पड़े। किसी ने कोई कोताही की तो लेने के देने पड़ सकते हैं, भविष्य और कैरियर दोनों चैपट।
             होमवर्क के पहले चरण में उन्हें उस बदमाश को ढूँढना पड़ेगा जिसकी वजह से उन्हें छः महीने तिहाड़ स्कूल में रहना पड़ा, और इसी क्रम में उन नकारा वकीलों को भी आड़े हाथों लेना पड़ेगा जो धन-दौलत की रेलमपेल के बाद भी इनकी स्कूल से छुट्टी नहीं करवा पाए। फिर कौन-कौन से कागज़ फाड़ना है, जलाना है, किस कागज़ में हेर-फेर करना है, कौन सा जाली तैयार करवाना है यह एक्सरसाइज़ बड़ी ज़रूरी है। सबूतों को छेड़ना, गवाहों को धमकाना, उन्हें नोटों की गड्डियों मैं तौलना और अपनी आज़ादी के दुश्मन बने सरकारी दरोगाओं, वजीरों को साधने के लिए साम दाम दंड भेद पर समग्र चिंतन करना। यह सब महत्वपूर्ण होमवर्क है जो कि तिहाड़ स्कूल से छूटकर बाहर आए वी.आई.पी बच्चों और उनके माता-पिताओं को करना पड़ेगा वर्ना तगड़ा फाइन भरना पडे़गा।          

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